Wednesday, April 21, 2010

रिश्ते सुधारने की जुगत

विगत कुछ वर्ष में अमेरिका से बढ़ती भारत की नजदीकियां और गोर्शकोव सौदे को लेकर भारत रूस के बीच तनातनी के चलते भारत और रूस के बीच दूरियां बढ़ी हैं। इस दौरान भारत ने हथियारों की आपूर्ति के लिए यूरोप, इजरायल और अमेरिका की ओर अपना रुख किया तो रूस की नाराजगी और भी परवान चढ़ी। लेकिन प्रधानमंत्री के रूस दौरे के दौरान दोनों देशों ने सामरिक क्षेत्र में आपसी सहयोग के महत्व को पहचाना। वैसे भी रूस सामरिक दृष्टि और हथियारों की आपूर्ति के मामले में हमेशा से भारत का विश्वसनीय सहयोगी रहा है। बीती बारह मार्च को भारत-रूस ने अपने मैत्री संबंधों को नए आयाम प्रदान किए। दोनों देशों ने नागरिक परमाणु समझौतों सहित कुल १९ करारों पर हस्ताक्षर किए। समझौते के तहत रूस, भारत में बारह परमाणु प्लांट बनाएगा, इसमें से छह कुंडनकुलम और छह पश्चिम बंगाल के हरिपुर में बनाए जाएंगे। इन महत्वपूर्ण करारों से उच्च एवं दुर्लभ तकनीक को लेकर दोनों देशों के बीच कई दशक पुराने दोस्ताना संबंधों में फिर एक नए युग की शुरुआत हुई। भारत-रूस नागरिक परमाणु समझौते के तहत परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग का प्रावधान शामिल है। समझौते के तहत भारत में रूसी डिजायन के न्यूक्लियर पॉवर प्लांट लगाए जाएंगे। नाभिकीय करार में रूस ने भारत को वो सारी रियायतें मुहैया कराईं जो अमेरिका उसे नहीं दे सका।एडमिरल गोर्शकोव के मोल-भाव को लेकर दो साल पहले तनावपूर्ण हुए भारत-रूस के सामरिक संबंध २० हजार करोड़ के रक्षा समझौतों के बाद फिर पटरी पर लौट आए हेैं। रूस के प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुतिन की मौजूदगी में हुए करीब चार बिलियन अमेरिकी डॉलर के असैन्य परमाणु समझौते के तहत भारत में रूस १२ परमाणु संयंत्र बनाएगा। करीब २० हजार करोड़ रुपये के इन समझौतों के तहत भारत विमानवाहक पोत एडमिरल गोर्शकोव की खरीद के लिए २.३४ बिलियन अमेरिकी डॉलर के भुगतान पर सहमत हो गया। पहले इस पोत की खरीद के लिए मात्र ९७४ मिलियन डॉलर का भुगतान होना था, लेकिन कई दौर के मोल-भाव के बाद आखिरकार यह सौदा अपने अंजाम को पहुंचा।गौरतलब है कि भारत को यह पोत २०१३ से पहले नहीं मिल सकेगा। रूस के साथ हमारे संबंध हमारी विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक संबंधों के लिहाज से काफी मायने रखते हैं। अन्य समझौतों में ओएनजीसी और रूस के गेजप्रोम के बीच हाइड्रोकार्बन के क्षेत्र में समझौता, इसरो और रूस की फेडरल स्पेस एजेंसी के बीच भी सहमति पत्र पर दस्तखत और उर्वरक के क्षेत्र में दो तथा हीरे के क्षेत्र में पांच समझौतों पर दस्तखत शामिल हैं। हीरा क्षेत्र में सहयोग के लिए रूस की फर्म अल रोजा से एग्रीमेंट हुआ। १.५ अरब डॉलर की लागत से २९ मिग-२९ फाइटर प्लेन खरीदने की डील भी हुई। यह विमान २०१२ से मिलने शुरू होंगे। इसके साथ ही सैन्य परिवहन विमान एमटीए के लिए संयुक्त उद्यम लगाने पर भी सहमति बनी। इसके अलावा आतंकवाद को लेकर भी दोनों देशों के नेता काफी गंभीर दिखे। अफगानिस्तान पर चर्चा के दौरान दोनों देश आपसी सलाह-मशवरा का दायरा बढ़ाने पर सहमत हुए। आतंकवाद से निबटने के लिए भी दोनों देश सहयोग बढ़ाएंगे। पुतिन ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय आतंकवादी गुटों को पूरी दुनिया के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा वह आतंकवादी गुटों के बारे में भारत की चिंताओं को समझते हैं कि अफगानिस्तान बॉर्डर के पास होने के कारण भारत की सुरक्षा प्रभावित हो रही है। पुतिन ने स्वीकार किया कि रूस की चिंताएं भी भारत जैसी ही हैं। अफगानिस्तान और आतंकवाद पर आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए भारत और रूस ने सहमति जताई है।

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