Tuesday, November 10, 2009

मालदीप पर मंडराता खतरा

मालदीव उन देशों में से है जिन पर ग्लोबल वार्मिग का खतरा कुछ अलहदा ढंग से मंडरा रहा है। बढ़ते समुद्री जलस्तर से इस देश के पूरी तरह समुद्र में समाधि ले लेने की संभावना है। सैंकड़ों छोटे-छोटे द्वीपों से मिलकर बने इस देश के करीब पचास द्वीप अभी ही समुद्र में समाने की ओर अग्रसर हैं। अपनी इसी समस्या को दुनिया के सामने पेश करने के लिए मालदीव ने अनूठा तरीका अपनाया। ग्लोबल वार्मिंग के खतरों को रेखांकित करने के लिए १७ अक्टूबर को मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद ने अपनी कैबिनेट की बैठक पानी के भीतर की। इस समस्या से निपटने के मालदीव सरकार के अनूठे प्रयोग के बाद अब एक और अनूठी योजना भी बनायी है। सरकार कुछ निर्जन द्वीप धनी देशों को बेचने या पट्टे पर देने की योजना पर विचार कर रही है। अगर यह योजना लागू हो जाती है तो इससे सबसे ज्यादा खतरा भारत के लिए पैदा हो जाएगा।
सैकड़ों टापुओं वाले देश मालदीव का ९० फीसदी इलाका समुद्र तल से महज एक मीटर की ऊंचाई पर है। ग्लोबल वार्मिंग के चलते मौजूदा दौर में सबसे ज्यादा खतरा इस देश को ही है। इन्हीं अंदेशों को देखते हुए यहां के राष्ट्रपति डॉ ़ मोहम्मद नशीद ने दुनियाभर के लोगों का ध्यान अपने ओर आकृष्ट करने के लिए समुद्र के अंदर बैठक की। यह भी कि दुनिया भर के देश कार्बन उत्सर्जन की मात्रा सीमित करें। इससे पहले मार्च २००९ में मालदीव सरकार ने अपने मुल्क को कार्बन-न्यूट्रल बनाने की द्घोषणा की थी। शायद यह दुनिया भर के इतिहास में अपनी तरह की पहली द्घटना है। इसमें कोई शक नहीं कि मालदीव का यह नायाब कदम दुनिया भर के लिए मिसाल ही नहीं चुनौती भी है। चुनौती इस मायने में कि क्या दुनिया का कोई खेमा, कोई देश, कोई टापू इसदेश की पीड़ा को समझने के लिए तैयार है, क्या कोई इसके साथ खड़ा होना चाहता है। जाहिर है कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो आने वाले सालों में अकेले मालदीव ही नहीं दुनिया भर के कई देशों के अस्तित्व पर प्रश्न चिह्व लग जाएगा।
कई खूबसूरत शहर जल समाधि ले लेंगे। एक रिपोर्ट के मुताबिक साल २१०० तक समुंद्र तल की ऊंचाई में कम से कम आधा मीटर की वृद्धि होगी। ऐसे में विश्व की ६० करोड़ आबादी जो तटीय इलाकों या निचले जमीनी इलाकों में रहती है, उसका क्या होगा। आज मालदीव खतरे में है तो कल ग्रीनलैण्ड होगा। आने वाले दौर में ऑस्ट्रेलिया पर भी खतरा मंडराएगा। फिर सीमित संसाधनों में संतुलन बिगड़ेगा।दुनिया का तापमान कम करने के लिए कार्बन कटौती की मांग बार-बार उठती रही है। हाल ही में बैंकाक में जलवायु परिवर्तन पर बैठक हुई। इस बैठक में भारत समेत दुनिया के ३६ विकासशील देशों ने औद्योगिक देशों के सामने मांग रखी है कि वे २०२० तक अपने कार्बन उत्सर्जन में १९९० की तुलना में ४० फीसदी की कमी लाएं। लेकिन औद्योगिक विकसित देशों ने इस मांग को सिरे से नकार दिया। क्वोटो प्रोटोकाल को लेकर अमेरिका शुरू से ही अड़ंगा लगाता रहा है।
मालदीव के लगभग १२०० द्वीप समुद्र तल से लगभग सर्वाधिक सात फीट ऊपर हैं। इनमें से दो तिहाई द्वीप समुद्र तल से सिर्फ चार फीट ऊपर हैं। भारत की यात्रा पर आए यहां के राष्ट्रपति डॉ ़मोहम्मद नशीद ने कहा कि मालदीप को बचाने के लिए काफी धन की आवश्यकता है। भारत मदद कर रहा है। लेकिन हमें और धन की आवश्यकता है। कुछ धनी देश हमें धन देने का प्रस्ताव दे भी रहे है। धन के बदले हमें कुछ बेचना होगा। हम पर्यटन के जरिए धन जुटाने के और प्रयास करेंगे। जरूरी हुआ तो अपनी कुछ स्टे्रटेजिक संपदा (द्वीप) भी बेच सकते हैं।
हिन्द महासागर में आबाद मालदीव का रणनीतिक महत्व है। विशेष रूप से भारत के लिए । चीन पहले ही भारत की द्घेराबंदी करने में जुटा है। वह लंबे समय से मालदीव के किसी द्वीप पर अपना सैन्य अड्डा बनाने की जुगत में लगा है। हालांकि राष्ट्रपति नशीद ने इसकी संभावना से इन्कार किया है। सऊदी अरब और इजराइल भी मालदीव के संपर्क में हैं। अगर चीन द्वीप खरीदने में सक्षम हो जाता है और वहां अपना बेस बना लेता है तो भारत की सुरक्षा के लिए खतरा होगा। द्वीपों को अगर इजराइल या अमेरिका खरीदता है तो वह भी भारत के हित में नहीं होगा।