Thursday, January 7, 2010

क्या यही इंसाफ है बस छह माह

आखिरकार १९ सालों के बाद रूचिका को इंसाफ मिला। लेकिन देरी से मिलने वाले इस इंसाफ पर एक लंबी बहस ने जन्म ले लिया है, आखिर एक संवेदनशील मामले में इतनी देर क्यों हुई। ऐसे कई सामाजिक संगठन,बुद्धिजीवी, पत्रकारिता जगत के लोग और अन्य वर्ग मुखर होकर सामने आने लगे हैं। रूचिका एक मात्र ऐसी पीड़िता नहीं हैं देश भर में, न जाने कितनी रूचिकाएं हैं जो किसी न किसी रूप में प्रताड़ित होती हैं। राठौर को हुई छह महीने की सजा काफी है या कम, इस पर भी बहस छिड़ गयी है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। कानून के जानकार कानून का उपयोग अपने हित में करने से कभी नहीं चूकते। राठौर के मामले में राजनीतिक पार्टियां भी अपने को पाक साफ दामन नहीं कह सकतीं। राजनीतिक दल भी उतने ही दोषी हैं जितने कि राठौर।
चंडीगढ़ की सीबीआई की विशेष अदालत ने हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक (डी जी पी) एसपीएस राठौर को १४ वर्षीय टेनिस खिलाड़ी रूचिका से छेड़छाड़ का दोषी करार देते हुए उन्हें सजा सुनाई। अदालत ने राठौर को छह महीने की कैद और एक हजार रूपये जुर्माना भरने का आदेश दिया। जुर्माना न अदा करने की हालत में राठौर को एक माह की सजा और हो सकती है।१४ वषीय किशोरी रूचिका गिराहोत्रा एक टेनिस खिलाड़ी थी। १२ अगस्त १९९० को वह राठौर के द्वारा छेड़छाड़ का शिकार हुई। राठौर उस समय हरियाणा में आई जी और हरियाणा टेनिस एसोशियेशन के अध्यक्ष थे। छेड़छाड़ के करीब तीन साल बाद रूचिका ने १९९३ में जहर पीकर आत्महत्या कर ली थी। रूचिका ने इस छेड़खानी की बात अपने पिता को नहीं बताई थी। लेकिन उसकी सहेली ने राठौर द्वारा रूचिका के उत्पीड़न को देखा और पूरा मामला अपने परिवार वालों को बताया था। मधुप्रकाश १९९७ में इस मामले को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायलय में लेकर गई। उनकी अपील पर हाईकोर्ट ने यह मामला दर्ज किया था। १९९८ में यह पूरा मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था।मुकदमें के दौरान बार-बार मजिस्ट्रेट बदले गए और गवाहों को प्रभावित करने की लगातार प्रयास भी किये गये। इस बीच राठौर हरियाणा के पुलिस महानिदेशक बन गए । वर्ष २००२ में राठौर डीजीपी के पद से सेवानिवृत हो गए। सितंबर २००२ में रूचिका के भाई ने भी आत्महत्या कर ली थी।
रूचिका की सहेली और इस द्घटना की एकमात्र गवाह अराधना गुप्ता इस मामले का फैसला सुनने के लिए आस्ट्रेलिया से अपने पति के साथ चंडीगढ़ आई थी। आराधना, रूचिका की सहयोगी टेनिस खिलाड़ी और पड़ोसी थी। इस द्घटना के वक्त वह मात्र १३ साल की थी। फैसला सुनाए जाते वक्त अदालत में राठौर और उनकी वकील पत्नी आभा राठौर भी उपस्थित थे। पुलिस की रिपोर्ट में बताया गया था कि प्रथम दृष्टया राठौर के खिलाफ मामला बनता है। मधु ने पत्रकारों से हुई बात चीत में बताया कि वह खुश है कि राठौर को छह महीने के कडे़ कारावास की सजा सुनाई गई है। लेकिन उन्हें इस बात का दुख भी है कि अदालत को मामले में फैसला सुनाने में इतना अधिक समय लगा।राठौर शायद ऐसे पहले पुलिस अधिकारी नहीं हैं जिन्हें सजा सुनाई गयी है। इससे पूर्व शिवानी भटनागर हत्याकांड में रविकांत शर्मा को अभियुक्त बनाया गया। पूर्व डीजीपी रमेश सहगल को रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा गैर कानूनी रूप से हिरासत में रखने के आरोप में आईपीएस अधिकारी अनिल डाबरा को कैद की सजा सुनाई गयी थी। एक नाबालिग को गैरकानूनी हिरासत में रखने के आरोप में एक अन्य आईपीएस अधिकारी एम . एस .अहलावत भी सुप्रीम कोर्ट से दण्डित हो चुके हैं। पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक के पीएस गिल पर भी एक आई ए एस महिला अधिकारी से छेड़छाड़ का आरोप लग चुका है।आनंद प्रकाश और उनके परिवार ने जो भी किया यकीनन वह काबिले तारीफ है। उन्होंने जो हिम्मत दिखाई उससे कई लोगों को हौसला मिलेगा। प्रकाश परिवार ने जो मिसाल कायम की है वह आने वाली नई नस्लों के

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