Tuesday, March 9, 2010

बातें हैं बातों का क्या?

करीब चौदह महीने के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच सचिव स्तर की बातचीत हुई। नतीजा वही ढाक के तीन पात, जिसकी पहले से उम्मीद की जा रही थी। पाकिस्तान ने भारत की सभी मांगों को सिरे से नकारते हुए भारत को सलाह न देने की सलाह दी। कुल मिलाकर महज बातचीत के लिए बातें हुईं जिसने अपनी विश्वसनीयता खो दी। कुछ इस अंदाज में कि बातें हैं बातों का क्या? भारत-पाकिस्तान के बीच २५ फरवरी को संपन्न हुई वार्ता की सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि मुंबई धमाकों के बाद जो वार्ता रुक गयी थी उसे एक बार फिर से पटरी पर लाने की कोशिश की गई। वैसे यह बैठक आशा के अनुरूप बेनतीजा ही रही। कोशिश की जा रही थी कि पिछले चौदह माह से जो बर्फ दोनों देशों के बीच जम गयी थी उसे थोड़ा पिद्घलाया जाए। वार्ता के दौरान एक बात तो साफ तौर पर स्पष्ट हो गयी कि दोनों देशों के बीच अविश्वास की खाई और गहरी हुई है। भारत की ओर से जहां इस वार्ता में मुख्य रूप से पाकिस्तानी जमीन से भारत के खिलाफ चल रहे आतंकवाद पर जोर दिया गया, वहीं पाकिस्तान ने बलूचिस्तान, कश्मीर और सिंधु नदी के पानी का मुद्दा उठाया। भारत सरकार ने अपने द्घरेलू दबाव को दरकिनार करके दोनों देशों के विदेश सचिव स्तर की बातचीत की पहल की थी। हालांकि आतंकवाद के दंश से पाकिस्तान भी दो चार है, मगर वह भारत के खिलाफ चरमपंथी गतिविधियां चला रहे संगठनों के प्रति इसलिए नरम रवैया अपनाए हुए है कि वह उसे अपना सबसे बड़ा दुश्मन मानने की मानसिकता से बाहर नहीं निकल पा रहा है।
चौदह महीने के अंतराल के बाद द्विपक्षीय वार्ता बहाल करते हुए भारत ने पाकिस्तान को आतंकवाद पर तीन दस्तावेज सौंपे। इन तीनों दस्तावजों में ३४ आतंकवादियों के नाम हैं। जिनमें पाकिस्तान से सेना के रिटायर्ड मेजर इकबाल के अलावा वांछित लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद, मुजम्मिल, अबू हम्जा जैसे आतंकियों को सौंपने की मांग की। एक डोजियर में प्रमुख आतंकी इलियास कश्मीरी की गतिविधियों की जानकारी है। इसमें यह मांग की गई कि इन आतंकवादियों को सौंपा जाए और अन्य प्रभावी कदम उठाये जायें। इस बैठक में भारत ने हाल ही में हुई पाकिस्तान में तालिबान द्वारा सिखों की हत्या पर भी चिंता जताई। निरूपमा राव ने कहा कि हमलों से विश्वास खत्म हुआ है। उन्होंने पाकिस्तानी समकक्ष से कहा कि उनकी सरजमीं से गतिविधियां संचालित कर रहे सभी आतंकवादी समूहों को नेस्तनाबूद करना पाकिस्तान की महती जिम्मेवारी है। भारत ने पाकिस्तान में आतंकी ढांचे के लगातार बने रहने और पाकिस्तानी क्षेत्र तथा पाकिस्तान के कब्जे वाले क्षेत्र से भारत के खिलाफ आतंकी हिंसा भड़काने के लिहाज से लश्कर-ए-तैएबा, जमात-उद-दावा, हिज्ब उल मुजाहिदीन आदि जैसे संगठनों की निर्बाध गतिविधियों पर अपनी चिंता जताई।
लेकिन शाम होते ही सलमान बशीर ने जिस लहजे में बात की उस तल्ख अंदाज ने गुड केमिस्ट्री की हवा निकाल दी। पाकिस्तान के विदेश सचिव सलमान बशीर ने सारे एजेंडे को ही पलट कर रख दिया। उन्होंने मुंबई हमलों पर कहा कि पाकिस्तान में तो ऐसे कई सौ हमले हो चुके हैं। फिर पिछले तीन साल के दौरान पाकिस्तान में हुए आतंकी हमलों के आंकड़े भी गिना डाले। बशीर ने कश्मीर का राग तो हमेशा की तरफ अलापा ही साथ ही गैर कूटनीतिक अंदाज में भारत को नीचा दिखाने का प्रयास भी किया। साथ ही उन्होंने भारत की आतंकवाद पर चिंता को कोई तरजीह नहीं दी। आतंकी सरगना हाफिज सईद पर दिए दास्तावेज को साहित्य करार दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत को पाकिस्तान को लेक्चर देने की जरूरत नहीं है।
महज दुनिया को दिखाने की गरज से साथ बैठ कर बात कर लेने से किसी ठोस नतीजे की उम्मीद नहीं की जा सकती, जब तक कि एक दूसरे की चिंताओं को समझने और सुलझाने की मंशा न हो। इसलिए जब तक पाकिस्तान अपने रुख में नरमी नहीं लाता, भारत के प्रति भरोसा पैदा नहीं करता, ऐसी वार्ताएं महज औपचारिक साबित होती रहेंगी।

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